कचरे से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बड़ा कदम: आईआईटी रुड़की ने अपशिष्ट-से-हाइड्रोजन तकनीक उद्योग को सौंपी
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की, 3 दिसंबर 2025। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने सतत ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपनी अपशिष्ट-से-हाइड्रोजन तकनीक को उद्योग जगत को हस्तांतरित कर दिया है। यह उन्नत तकनीक इनफिनेट इंटिग्रटिड एनर्जी टेक्नोलोजीज़ एलएलपी को प्रदान की गई है, जिससे बड़े पैमाने पर जैविक द्रव अपशिष्ट को हाइड्रोजन ईंधन में परिवर्तित करना संभव होगा। यह प्रयास भारत को हाइड्रोजन-आधारित भविष्य की ओर तेजी से अग्रसर करने वाला साबित होगा।यह तकनीक आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर नरपूरेड्डी शिवा मोहन रेड्डी द्वारा विकसित की गई है, जिसमें Catalytic Supercritical Water Gasification यानी उत्प्रेरक अधितापीय गैसीकरण प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में द्रव अवस्था के जैविक अपशिष्ट को लगातार हाइड्रोजन-समृद्ध गैस में परिवर्तित किया जाता है। यह तकनीक न केवल पर्यावरण अनुकूल है, बल्कि बड़े औद्योगिक स्तर पर उपयोग के लिए भी अत्यंत उपयुक्त और किफायती है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवाचार अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। भारत के लिए यह तकनीक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश परिपत्र अर्थव्यवस्था और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। यह तकनीक उद्योगों को अपने द्रव अपशिष्ट को मूल्यवान ऊर्जा संसाधन में बदलने का अवसर प्रदान करती है, जिससे अपशिष्ट प्रदूषण एक हरित अवसर में बदल सकता है।
आईआईटी रुड़की के आविष्कारक प्रो. शिवा मोहन रेड्डी ने इस उपलब्धि पर कहा —
“हमारा अनुसंधान पर्यावरणीय स्थिरता को ऊर्जा दक्षता से जोड़ने पर केंद्रित है। यह तकनीक दर्शाती है कि जैविक द्रव अपशिष्ट से स्वच्छ हाइड्रोजन ईंधन को व्यावहारिक और प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सकता है, जो भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण में बड़ा योगदान देगा।”इनफिनेट इंटिग्रटिड एनर्जी टेक्नोलोजीज़ एलएलपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामचंद्र राजू दंतुलुरी ने इसे उद्योग दुनिया के लिए गेम-चेंजर बताया। उन्होंने कहा —
“हमारा उद्देश्य इस तकनीक को प्रयोगशाला से उत्पादन लाइन तक पहुंचाना है। इस सहयोग से भारत हाइड्रोजन-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में और तेजी से आगे बढ़ेगा।”आईआईटी रुड़की के अधिष्ठाता (प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श) प्रो. विवेक कुमार मलिक ने कहा कि यह तकनीक हस्तांतरण संस्थान की उद्योग के साथ मजबूत साझेदारी और व्यावहारिक समाधानों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने इस उपलब्धि को संस्थान की अनुसंधान क्षमता और समाज-उन्मुख नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा —
“हमारा लक्ष्य ऐसे नवाचार करना है जिनसे समाज पर ठोस सकारात्मक प्रभाव पड़े। अपशिष्ट-से-हाइड्रोजन तकनीक स्वच्छ ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन—दोनों प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देगी।”आईआईटी रुड़की का यह कदम न केवल भारत में स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के विकास को बढ़ावा देगा बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपशिष्ट-से-ऊर्जा नवाचारों में देश की नेतृत्व क्षमता को सशक्त करेगा।



