शिक्षा के मंदिर में बड़ी लापरवाही: शोहदे के साथ डांस, छात्रों की काटी गई टीसी
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों में अनुशासन और संस्कार की शिक्षा दी जाती है। लेकिन जब जिम्मेदारी निभाने वाले अध्यापक ही अपनी ड्यूटी से नदारद हों, तो न केवल बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगते हैं। ऐसा ही मामला रुड़की के मंगलौर क्षेत्र स्थित एक राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से सामने आया है, जहां शिक्षकों की लापरवाही से छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता दिख रहा है।मामला यह है कि विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के बीच एक बाहरी आवारा युवक घुस आया और कक्षा में मौजूद छात्रों के साथ डांस करने लगा। इतना ही नहीं, इस पूरे घटनाक्रम की रील बनाकर उसने सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दी। वीडियो सामने आने के बाद विद्यालय प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई।जब यह मामला शिक्षकों के संज्ञान में आया, तो उन्होंने आनन-फानन में बाहर से आए युवक को बुलाया और सारा ठीकरा उसी पर फोड़ने का प्रयास किया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, दोष केवल बाहर के युवक तक सीमित न रखते हुए विद्यालय प्रशासन ने वहां पढ़ रहे पाँच छात्रों की टीसी काट दी। यानी उनकी पढ़ाई और भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया गया। वहीं, शिक्षकों का यह भी कहना सामने आया कि “गलती हमारी ही है।” यदि गलती शिक्षकों की थी, तो छात्रों को क्यों दंडित किया गया — यह सवाल अब शिक्षा विभाग के लिए भी सिरदर्द बन गया है।स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जब कक्षा में शिक्षक मौजूद ही नहीं थे, तो छात्रों पर कार्रवाई करना पूरी तरह से अनुचित है। इस घटना ने साफ कर दिया है कि विद्यालयों में बच्चों की निगरानी में कितनी लापरवाही बरती जा रही है।वहीं, इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी मेहराज आलम का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आज ही आया है और वे इस पर गंभीरता से जांच करेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी कार्यवाही आवश्यक होगी, वह की जाएगी।शिक्षा क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि यह मामला केवल एक विद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल खड़ा करता है। यदि विद्यालय में शिक्षक समय पर मौजूद रहते और अपनी जिम्मेदारी निभाते, तो न तो कोई बाहरी युवक स्कूल में प्रवेश करता और न ही छात्रों को ऐसी शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ता।यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का जीवंत उदाहरण है, जिसमें छात्रों को बलि का बकरा बना दिया गया। जिन पांच छात्रों की टीसी काटी गई, उनके भविष्य पर अब संकट खड़ा हो गया है। सवाल यह भी उठता है कि क्या शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सज़ा देकर उन्हें हतोत्साहित करना है, या उन्हें सही दिशा देकर बेहतर इंसान बनाना?
आज जरूरत है कि शिक्षा विभाग इस तरह के मामलों पर सख्ती से रोक लगाए और यह सुनिश्चित करे कि विद्यालयों में शिक्षक पूरी जिम्मेदारी के साथ मौजूद रहें। छात्रों को बेवजह सजा देने के बजाय उन्हें मार्गदर्शन दिया जाए। तभी शिक्षा के असली उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी।



