December 22, 2025

सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की में “एक स्वास्थ्य, एक विश्व 2025” वैश्विक सम्मेलन का भव्य शुभारंभ

(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)

रुड़की–हरिद्वार। सीएसआईआर–सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की द्वारा आयोजित “एक स्वास्थ्य, एक विश्व 2025” का मुख्य आयोजन बुधवार को होटल क्लार्क्स सफ़ारी, रुड़की–हरिद्वार में शुरू हुआ। यह वैश्विक सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय शोध, आपदा प्रबंधन और सतत विकास पर केंद्रित रहा, जिसमें 13 देशों से 350 से अधिक प्रतिभागियों तथा 50 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई। बड़ी संख्या में देश–विदेश के विशेषज्ञों की उपस्थिति ने इसे एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक वैज्ञानिक मंच का रूप दिया।कार्यक्रम का शुभारंभ सीएसआईआर–सीबीआरआई के निदेशक सहित विशिष्ट अतिथियों द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। आयोजन सचिव डॉ. अजय चौरासिया ने अपने स्वागत संबोधन में सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह मंच अवसंरचना प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान और आपदा न्यूनीकरण जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार-विमर्श के लिए समर्पित है। उन्होंने बताया कि “एक स्वास्थ्य, एक विश्व” की अवधारणा वैश्विक विकास और मानवीय सुरक्षा को एक साझा धुरी पर लाने का प्रयास है।इस अवसर पर सीएसआईआर–सीबीआरआई के निदेशक ने सभी राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए भारत की प्रगति, उभरती अर्थव्यवस्था और आपदा-रोधी निर्माण की अनिवार्यता पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक आधारित समाधानों के माध्यम से देश सुरक्षित एवं सतत संरचनाओं की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और सम्मेलन के सह-अध्यक्ष डॉ. वतारू ताकेउची ने एक स्वास्थ्य–एक विश्व की वैश्विक आवश्यकता पर जोर देते हुए आपदा-रोधी तकनीकों, अवसंरचना विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए सीबीआरआई टीम की सराहना की।प्रोफेसर सी.वी.आर. मूर्ति ने आपदा संबंधी शोध और प्रबंधन में हो रहे प्रगतिशील कार्यों को रेखांकित किया। उन्होंने वैज्ञानिकों के सहयोग और विश्वविद्यालयों की सक्रिय भागीदारी को वैश्विक समन्वय के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य डॉ. कृष्ण एस. वात्सा ने अपने संबोधन में रुड़की की ऐतिहासिक इंजीनियरिंग विरासत—विशेषकर जल नहर प्रणाली—का उल्लेख किया। उन्होंने भारत–जापान के तकनीकी सहयोग, आधुनिक इंजीनियरिंग समाधानों और वैश्विक आपदा-रोधी पहल में जापान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।वर्ल्ड सीस्मिक सेफ्टी इंस्टीट्यूट के सह–संस्थापक एवं सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रोफेसर किमीरो मेगुरो ने जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक आपदाओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आपदा प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने “नकारात्मक प्रभाव को न्यूनतम करने हेतु व्यापक आपदा प्रबंधन प्रणाली” विषय पर विशेष व्याख्यान भी प्रस्तुत किया, जिसे प्रतिभागियों ने अत्यंत उपयोगी बताया।कार्यक्रम के अंत में डॉ. अजय चौरासिया द्वारा औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव रखा गया। इसके बाद दुनिया भर से आए विशेषज्ञों द्वारा शहरी सुरक्षा, अवसंरचना प्रबंधन, हरित पुनर्प्राप्ति, जलवायु परिवर्तन, आपदा न्यूनीकरण तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान जैसे विषयों पर विस्तृत तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।इस सम्मेलन ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया, जहाँ ज्ञान, अनुसंधान और अनुभवों का व्यापक आदान-प्रदान हुआ। रुड़की में आयोजित यह आयोजन न केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करता है, बल्कि सतत और सुरक्षित भविष्य की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम भी साबित हुआ।

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