भारतीय किसान यूनियन (रोड) ने सरकार को दी चेतावनी — मांगे नहीं मानी तो होगा मुख्यमंत्री आवास का घेराव
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की: किसानों की समस्याओं और बकाया भुगतानों को लेकर आज रुड़की में एक बार फिर से किसान सड़कों पर उतर आए। भारतीय किसान रोड संगठन के बैनर तले नगर निगम के बाहर एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में किसान शामिल हुए।

मंच से किसानों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार को साफ चेतावनी दी कि अगर उनकी 12 सूत्रीय मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज़ होगा और अगला कदम मुख्यमंत्री आवास का घेराव होगा।संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदम सिंह रोड ने कहा कि किसान अब किसी भी हाल में पीछे हटने वाले नहीं हैं। स्मार्ट मीटर लगाने, चकबंदी विभाग की लापरवाही और इकबालपुर शुगर मिल से किसानों का बकाया भुगतान न होने जैसी समस्याओं ने किसानों को सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मिल प्रबंधन जानबूझकर किसानों का भुगतान रोक रहा है और इसमें सरकार और प्रशासन की मिलीभगत भी नजर आ रही है।किसानों ने चेतावनी दी कि अगर बिजली विभाग का कोई कर्मचारी गांव में स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचा तो उसे बंधक बना लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान अब शोषण और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे। पदम सिंह रोड ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि किसानों को न तो उनका हक मिल रहा है और न ही समस्याओं का कोई ठोस समाधान हो रहा है।महापंचायत में किसानों ने एक सुर में कहा कि उनकी 12 सूत्रीय मांगों में शामिल सभी बिंदुओं को सरकार को तुरंत मानना चाहिए। इन मांगों में प्रमुख रूप से स्मार्ट मीटरों को हटाना, इकबालपुर मिल से बकाया भुगतान, चकबंदी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और कृषि से संबंधित विभागों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाना शामिल है।किसानों की यह महापंचायत प्रशासन के लिए भी चुनौती बनकर सामने आई। मौके पर भारी पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी तैनात रहे। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र सेठ स्वयं मौके पर पहुंचे और किसानों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि किसानों का ज्ञापन प्राप्त हो गया है और उनकी मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा।

कुल मिलाकर रुड़की की इस महापंचायत से यह संदेश साफ हो गया है कि किसान अब आर-पार के मूड में हैं। अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। किसान संगठनों का कहना है कि वे अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेंगे और सरकार को झुकने पर मजबूर करेंगे।



