आईआईटी रुड़की एवं मैत्री एक्वाटेक ने भारत में सतत जल समाधानों के लिए हाथ मिलाया, जल पहुँच, जलवायु लचीलापन एवं सामाजिक प्रभाव बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
जल संकट की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए उच्च शिक्षा एवं उद्योग जगत के बीच एक ऐतिहासिक साझेदारी हुई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और मैत्री एक्वाटेक प्राइवेट लिमिटेड ने आज एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर सतत जल समाधानों को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया। यह समझौता आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत की उपस्थिति में हुआ, जो संस्थान की सामाजिक एवं राष्ट्रीय प्रासंगिकता वाले अनुसंधान के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।यह साझेदारी वायुमंडलीय जल उत्पादन (Atmospheric Water Generation – AWG) तकनीक पर आधारित होगी, जिसके ज़रिए जलवायु लचीलापन बढ़ाते हुए देश के जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इस सहयोग का उद्देश्य उन्नत अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रायोगिक प्रदर्शन और सामाजिक प्रभाव को एकीकृत कर एक मापनीय एवं दोहराए जाने योग्य मॉडल तैयार करना है।आईआईटी रुड़की और मैत्री एक्वाटेक मिलकर विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में एडब्ल्यूजी प्रणालियों के अनुकूलन, परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए एआई/एमएल मॉडलिंग और उन्नत जल गुणवत्ता विश्लेषण पर काम करेंगे। साझेदारी में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए इंटर्नशिप, कार्यशालाओं और संयुक्त प्रकाशनों के अवसर भी शामिल हैं, जिससे भविष्य की जल तकनीकों में कुशल मानव संसाधन तैयार किए जा सकें।इसके साथ ही, यह सहयोग सामाजिक प्रभाव को भी केंद्र में रखता है। मैत्री एक्वाटेक आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर सीएसआर और दाता-समर्थित पहलों को बढ़ावा देगा, जिससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने के प्रयासों को गति मिलेगी। पायलट प्रोजेक्ट्स के ज़रिए एडब्ल्यूजी प्रणालियों को प्रकृति-आधारित समाधानों के साथ जोड़कर टिकाऊ जल आपूर्ति की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।इस समझौते के प्रमुख समन्वयक प्रो. एम.एल. कंसल (डब्ल्यूआरडीएम संकाय) अनुसंधान और तकनीकी मार्गदर्शन की जिम्मेदारी संभालेंगे। इस पहल में प्रो. के.के. पंत (निदेशक), प्रो. थंगा राज चेलिया (एचओडी, डब्ल्यूआरडीएम), प्रो. के.एस. कासिवनाथन और मैत्री एक्वाटेक के उद्योग विशेषज्ञों—कैप्टन के.के. शर्मा (ईवीपी) एवं श्री पवन बोरले (सह-संस्थापक)—की सक्रिय भूमिका रहेगी।आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा, “यह सहयोग अत्याधुनिक अनुसंधान को समाज के लिए व्यावहारिक समाधानों में बदलने का एक बड़ा कदम है। हमारी अकादमिक विशेषज्ञता और मैत्री एक्वाटेक की तकनीक मिलकर जल लचीलापन बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।”मैत्री एक्वाटेक के कार्यकारी उपाध्यक्ष कैप्टन के.के. शर्मा ने कहा, “आईआईटी रुड़की के साथ साझेदारी से हमें शोध-आधारित दृष्टिकोण के साथ एडब्ल्यूजी तकनीक को और बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा, जिससे भारत के जल संकट से निपटने के लिए स्थायी समाधान विकसित होंगे।”यह साझेदारी राष्ट्रीय जल मिशन, जल शक्ति अभियान जैसे सरकारी कार्यक्रमों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य—एसडीजी 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) एवं एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई)—को भी आगे बढ़ाएगी। इस पहल से न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत में जलवायु अनुकूलन और स्थिरता एजेंडे को भी मज़बूती मिलेगी।प्रो. एम.एल. कंसल ने कहा, “अत्याधुनिक तकनीक और अकादमिक अनुसंधान के समन्वय से हम देशभर में जल संकट का स्थायी समाधान प्रदान कर सकते हैं।”इस एमओयू के ज़रिए आईआईटी रुड़की और मैत्री एक्वाटेक भारत में जल नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने जा रहे हैं, जो आने वाले वर्षों में लाखों लोगों के लिए स्वच्छ जल की पहुँच सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।



