उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा पर भड़के वरिष्ठ आंदोलनकारी,10 नवम्बर से दी आंदोलन की चेतावनी
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की, 3 अक्टूबर 2025। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के 25 वर्ष पूरे होने में अब मात्र एक माह शेष है, लेकिन शहीद आंदोलनकारियों को न्याय और राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान अभी भी नसीब नहीं हो पाया है। वरिष्ठ आंदोलनकारियों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अब तक की सभी सरकारों ने सिर्फ उपेक्षा की है और शहीदों के नाम पर केवल घड़ियाली आंसू बहाए हैं।
वरिष्ठ आंदोलनकारियों का कहना है कि हर साल 2 अक्टूबर को जब मुख्यमंत्री और मंत्रीगण मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, मगर हकीकत यह है कि उन्हीं आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने तक से रोका जाता है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से उत्तराखंड राज्य का सपना पूरा किया। आंदोलनकारियों का आरोप है कि प्रशासन को आदेश दिया जाता है कि वरिष्ठ आंदोलनकारियों को मंच पर स्थान न दिया जाए और उन्हें सम्मानित करना तो दूर, शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि देने से भी रोका जाता है।आंदोलनकारियों ने याद किया कि वर्ष 1994 की 2 अक्टूबर की वह काली रात आज भी उनके जेहन में जिंदा है, जब रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाई गईं। उस समय रुड़की की संघर्ष समिति ने घायलों और शहीदों को रुड़की अस्पताल पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी निभाई थी। तत्कालीन कोषाध्यक्ष स्व. पान सिंह खनका और स्व. दयाराम बलूनी ने इसकी पूरी व्यवस्था की थी। साथ ही गढ़वाल सभा भवन में आंदोलनकारियों को ठहराया गया और आवश्यक मदद पहुंचाई गई।वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं केंद्रीय कोषाध्यक्ष श्रीमती कमलो बमोला ने कहा कि आज स्थिति यह है कि आंदोलनकारी सरकार की उपेक्षा से इतने व्यथित हो चुके हैं कि वे नेताओं का चेहरा तक देखना नहीं चाहते। लेकिन शहीदों को श्रद्धांजलि देना उनका नैतिक कर्तव्य है, क्योंकि उन्हीं के बलिदान की बदौलत उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। उन्होंने कहा कि सरकारों और नेताओं ने उत्तराखंड का सिर्फ दोहन किया है। समस्याओं के समाधान की आवाज उठाने वाले आंदोलनकारियों को कभी भूमाफिया, कभी नकल माफिया और कभी माओवादी कहकर अपमानित किया जाता है।आंदोलनकारियों का कहना है कि आज उत्तराखंड अपनी युवा अवस्था में भी बेरोजगारी, पलायन और भ्रष्टाचार की मार झेल रहा है। राज्य आंदोलनकारी सम्मानपत्र की उम्मीद में गिड़गिड़ाते-गिड़गिड़ाते स्वर्ग सिधार रहे हैं। लगातार आश्वासनों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।वरिष्ठ आंदोलनकारी भुवनेश्वरी बौठियाल, प्रमोद डोभाल, त्रिलोक भट्ट और हरेन्द्र सिंह रावत ने सवाल उठाया कि आखिर सरकार कब तक आंदोलनकारियों के साथ छलावा करती रहेगी। वहीं, मालदे कराशी, नन्दा रावत, आशा नेगी, शकुन्तला सती, बसन्त जोशी, नन्दन सिंह रावत, कृपया सिंह, चौधरी राजेन्द्र, चौधरी प्रवीण और जीतेन्द्र ने चेतावनी दी है कि यदि 9 नवम्बर तक चिन्हीकरण से वंचित आंदोलनकारियों को चिन्हित नहीं किया गया तो 10 नवम्बर से जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।इस अवसर पर सैकड़ों आंदोलनकारी रामपुर तिराहा और नारसन शहीद स्थल पर एकत्र हुए और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शपथ ली कि शहीदों के सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा और अब सरकार की हठधर्मिता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।



