इकबालपुर शुगर मिल पर 130 करोड़ का बकाया, किसानों का आंदोलन तेज – 27 सितंबर को आत्मदाह की चेतावनी
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की। उत्तराखंड में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है।इकबालपुर शुगर मिल पर किसानों का लगभग 130 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे लेकर किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी गुलशन रोड के नेतृत्व में किसानों ने ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि आगामी 27 सितंबर तक गन्ना बकाया भुगतान नहीं किया गया, तो उत्तराखंड किसान मोर्चा के 10 कार्यकर्ता मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह करेंगे। किसानों ने कहा कि यदि ऐसी घटना घटती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और गन्ना विभाग की होगी। इकबालपुर शुगर मिल पर किसानों का लगभग 130 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे लेकर किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है । दो दिन पहले ही उत्तराखंड किसान मोर्चा ने सीओ रुड़की नरेंद्र पंत को ज्ञापन सौंपते हुए इस मामले को गंभीरता से उठाया था और साफ कहा था कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि इकबालपुर शुगर मिल प्रबंधन पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण किसान पिछले 30 दिनों से एसडीएम कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है। किसानों ने बताया कि गन्ना खेती उनकी आजीविका का मुख्य साधन है, लेकिन बकाया भुगतान न मिलने से उनका जीवन बेहद कठिन हो गया है। कई किसान कर्ज में डूब चुके हैं, बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है और घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार आश्वासन देती है, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस बनी रहती है।राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी गुलशन रोड ने भाजपा सरकार पर किसानों की समस्याओं को लेकर पूरी तरह नाकाम साबित होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार गन्ना भुगतान कराने में विफल रही है, जबकि किसान लंबे समय से धैर्य और शांति के साथ अपनी मांगें उठा रहे हैं। गुलशन रोड ने चेतावनी दी कि यदि अब भी सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाया, तो हालात और गंभीर हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि किसान अब तक शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे। उनका मकसद सिर्फ अपना बकाया भुगतान प्राप्त करना है, लेकिन सरकार की उदासीनता ने उन्हें आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।
किसानों की एकजुटता
ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग की गई। किसानों ने साफ कहा कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया तो आंदोलन और उग्र होगा। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान मौके पर मौजूद रहे। जिनमें रामपाल सिंह, धर्मेंद्र, महेकार सिंह, राजपाल सिंह, तेंजवीर सिंह, समीर आलम, सत्येंद्र लंबरदार, शफक्कत, राजेंद्र सिंह और सुधीर सहित अनेक किसान शामिल रहे। गन्ना भुगतान का मुद्दा वर्षों से प्रदेश के किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। हर साल किसानों को शुगर मिलों से बकाया भुगतान को लेकर संघर्ष करना पड़ता है। सरकार बार-बार समय पर भुगतान का वादा करती है, लेकिन हकीकत में किसानों को न्याय नहीं मिल पाता।
अब 27 सितंबर की तारीख नजदीक आने के साथ ही किसानों का यह आंदोलन और गरमा गया है। प्रदेश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार किसानों के आक्रोश को शांत करने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।



