कक्षा 9 के छात्र ने शिक्षक को मारी गोली, गोलीकांड से दहला शहर, शिक्षा जगत में मची सनसनी

(Knews18 ब्यौरों) उत्तराखंड से गुरु और छात्र का रिश्ता तार-तार करने वाला मामला सामने आया है, दरअसल यहां पर कक्षा 9 के छात्र ने शिक्षक को गोली मार दी, जिसमें शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए, फिलहाल उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है, हालांकि घटना के बाद छात्र को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया है, हालांकि इस घटना ने पूरे समाज में शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा पर बड़े और गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।बता दें कि उत्तराखंड के जनपद उधम सिंह नगर के काशीपुर के कुंडेश्वरी में गुरुनानक इंटर कालेज के कक्षा 9 के छात्र ने शिक्षक को गोली मार दी, गोली लगने से अध्यापक गगनदीप सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भिजवाया गया है, वहीं घटना के बाद छात्र को अन्य अध्यापकों द्वारा पकड़कर पुलिस को सौंप दिया गया है, हालांकि इस सनसनीखेज वारदात की खबर पलभर में क्षेत्र में आग की तरह फैल गई और बच्चों के अभिभावकों के भीतर असुरक्षा और बेचैनी का भाव गहराने लगा, वहीं जिस स्थान को अब तक संस्कारों और शिक्षा का सुरक्षित आश्रय माना गया था वही जगह हिंसा का मंच बन जाएगी, इसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी, फिलहाल पुलिस घटनास्थल पर पहुंची है और मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है, हालांकि स्कूल प्रबंधन इस घटना के बाद से खुद गहरे सदमे में है और समाज में उठ रहे सवालों का सामना करने के लिए विवश है, बहरहाल इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था की नींव तक हिला कर रख दी है और यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आज के दौर में विद्यालयों में सुरक्षा इंतजाम इतने कमजोर हो चुके हैं कि छात्र ही शिक्षकों के खिलाफ हथियार उठा लें।
*फॉरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर जुटाए साक्ष्य*
वहीं इस सनसनीखेज घटना के बाद फॉरेंसिक टीम स्कूल में पहुंची और साक्ष्य इकट्ठा किए गए, इस दौरान क्राइम सीन भी क्रिएट किया गया, पुलिस टीम को 315 बोर का तमंचा और कारतूस का खोखा मिला है,
*दो दिन पहले टीचर ने मारा था थप्पड़*
पुलिस पूछताछ में पता चला कि सोमवार को फिजिक्स की क्लास में टीचर ने छात्र से सवाल पूछा था, जवाब देने के बावजूद टीचर ने उसे थप्पड़ मारा था, भरी क्लास में थप्पड़ खाने को उसने अपमान के रूप में ले लिया और उसी का बदला लेने के लिए छात्र ने टीचर को गोली मार दी,
*लंच बॉक्स के अंदर रखकर लाया था तमंचा*
पुलिस पूछताछ में आरोपी छात्र ने बताया कि तमंचा घर की आलमारी में रखा हुआ था, मैं आलमारी से तमंचा निकालकर टिफिन में रखकर स्कूल लेकर आया था,
*आरोपी छात्र के पिता से पुलिस कर रही पूछताछ*
उधर, घटना के बाद से आरोपी छात्र के पिता भी फरार हो गये थे, लेकिन बाद में वह वापस आ गए, पुलिस आरोपी के पिता से भी पूछताछ कर रही है कि घर में तमंचा कैसे आया, बताया गया है कि आरोपी छात्र के पिता किसान हैं और शिक्षक को गोली मारने वाले आरोपी छात्र के पिता खेती-किसानी करते हैं, बताया जा रहा है कि आरोपी छात्र दो बहनों व एक भाई में सबसे छोटा है, बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, जबकि एक बहन इंटर करने के बाद कनाडा चली गई है।
वहीं कॉलेज में हुए गोलीकांड के बाद पूरे क्षेत्र का वातावरण आशंका और भय की गिरफ्त में है, माता-पिता अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि यदि विद्यालय जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थान पर इस तरह की खतरनाक घटनाएं हो सकती हैं तो बच्चों का भविष्य और उनकी सुरक्षा आखिर किस पर छोड़ी जाए, बच्चों की शिक्षा जितनी अहम है उतना ही जरूरी उनका सुरक्षित माहौल भी है, इसी चिंता ने हर घर में बेचैनी और अविश्वास का माहौल गहरा कर दिया है, हर अभिभावक और नागरिक प्रशासन से यही अपेक्षा कर रहा है कि दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं, वहीं गुरू नानक स्कूल की यह घटना अब केवल स्थानीय चर्चा तक सीमित नहीं रही, बल्कि इस घटना ने शिक्षा संस्थानों और सुरक्षा मानकों की विश्वसनीयता को लेकर पूरे समाज में व्यापक बहस छेड़ दी है।
वहीं इस घटना के बाद से असर इतना गहरा था कि शिक्षा जगत इसे केवल एक व्यक्तिगत हमला मानकर चुप नहीं बैठ पाया, जिसके बाद विद्यालयों की कार्यकारिणी ने आपातकाल बैठक बुलाकर स्थिति पर गंभीर मंथन किया, इस दौरान सभी सदस्यों ने स्वीकार किया कि अब सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देना ही होगा, वहीं बैठक के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि काशीपुर के सभी मान्यता प्राप्त स्कूल अगले दिन पूरी तरह बंद रहेंगे और एक सामूहिक शांति धरना आयोजित किया जाएगा, इस निर्णय के जरिए समाज और शासन को यह संदेश दिया गया कि शिक्षा संस्थान अब चुपचाप खड़े होकर ऐसी घटनाओं को सहन नहीं करेंगे और अब स्कूल केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि सुरक्षा के मुद्दे पर भी एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे, हालांकि इस बैठक के बाद शिक्षकों और प्रबंधकों ने साफ शब्दों में कहा कि यह आंदोलन विरोध का स्वरूप नहीं बल्कि शांति और सुरक्षा की अपील है, उनका कहना था कि अब समय आ गया है जब विद्यालयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर कानून और नीतियां लागू की जाएं, शिक्षकों का जीवन केवल अध्यापन तक सीमित समझना अनुचित है, उनकी सुरक्षा भी उतनी ही आवश्यक है जितनी छात्रों की, उन्होंने मांग रखी कि भविष्य में ऐसी वारदातों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त नियम और दंडात्मक प्रावधान बनाए जाएं, ताकि कोई भी छात्र या बाहरी तत्व इस तरह का दुस्साहस करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर हो, सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूत बनाना अब केवल विकल्प नहीं बल्कि समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।