September 13, 2025

आईआईटी रुड़की ने जल शक्ति मंत्रालय के साथ एम-सीएडी आधुनिकीकरण के लिए हाथ मिलाया

(ब्योरो- दिलशाद खान।KNEWS18)

रुड़की, उत्तराखंड | 13 अगस्त 2025 – सिंचाई प्रथाओं में क्रांतिकारी बदलाव और ग्रामीण स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट (सीएडीडब्ल्यूएम) विंग के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

इस साझेदारी का उद्देश्य कमांड एरिया डेवलपमेंट (एम-सीएडी) के आधुनिकीकरण के माध्यम से सिंचाई दक्षता बढ़ाना, कृषि समुदायों को सशक्त बनाना और महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। इसके तहत ग्रामीण भारत के लिए स्मार्ट जल प्रबंधन समाधान और नीतिगत समर्थन प्रदान किया जाएगा।समारोह में जल शक्ति मंत्रालय की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने सिंचाई आधुनिकीकरण में दस्तावेजीकरण, स्वदेशी प्रौद्योगिकी और महिलाओं की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह पहल किसानों के लिए टिकाऊ, विश्वसनीय और अधिक कुशल सिंचाई पद्धतियों को सुलभ बनाएगी।आईआईटी रुड़की में 2024 में स्थापित सतत ग्रामीण विकास केंद्र (सीएसआरडी) इस परियोजना के लिए अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र होगा। इस अवसर पर प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श (एसआरआईसी) कुलशासक प्रो. वी. के. मलिक ने कहा, “यह केंद्र ज्ञान निर्माण, मापनीय मॉडल और ग्रामीण विकास में हितधारकों की क्षमता वृद्धि पर कार्य करेगा।”आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने इस साझेदारी को “राष्ट्रीय विकास और सामाजिक कल्याण के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग विकसित भारत@2047 के विज़न और जल शक्ति अभियान के लक्ष्यों के अनुरूप है, जो जल सुरक्षा और कृषि लचीलापन को मज़बूत करेगा।एमओयू पर जल शक्ति मंत्रालय के सीएडीडब्ल्यूएम विंग के आयुक्त श्री अनुज कंवल और आईआईटी रुड़की के एसआरआईसी कुलशासक प्रो. विवेक के. मलिक ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान सीएसआरडी प्रमुख प्रो. आशीष पांडे, जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग की प्रो. कृतिका कोठारी और मंत्रालय के निदेशक श्री अशोक के. जेफ भी मौजूद रहे।यह साझेदारी तकनीकी विशेषज्ञता और सरकारी रणनीति का संगम है, जिसका लक्ष्य किसानों को सशक्त बनाना, कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना और समावेशी ग्रामीण विकास को नई गति देना है।

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