मंगलौर में निकला मातमी जुलूस, या हुसैन की सदाओं से गूंजा हाईवे छोटे बच्चों ने भी किया ज़ंजीर का मातम
(दिलशाद खान)(KNEWS18)
मंगलौर में मोहर्रम के मौके पर आज बंदर टोल से एक भव्य मातमी जुलूस निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। लोगों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ग़म और मातम किया।

इस दौरान शिया समुदाय की सभी पारंपरिक रस्में पूरी की गईं।बंदर टोल से शुरू हुआ यह मातमी जुलूस मंगलौर हाईवे तक पहुंचा, जहां लोगों ने हाथों में ज़ंजीरें लेकर इमाम हुसैन की याद में मातम किया। “या हुसैन या हुसैन” की सदाओं के बीच छोटे बच्चे भी ज़ंजीर लेकर मातम में शामिल हुए। महिलाओं की उपस्थिति भी खास तौर पर देखने को मिली।जुलूस के दौरान हाईवे पर एक साइड जाम की स्थिति बन गई थी, लेकिन मौके पर तैनात पुलिस बल ने तत्परता दिखाते हुए स्थिति को नियंत्रण में लिया और यातायात बहाल किया। इमामबाड़ा कमेटी ने कोतवाली पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासन ने इस बार बेहतर इंतज़ाम किए, जिससे किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।मुतवल्ली तनवीर हुसैन जाफरी ने कहा, “आज का दिन बहुत बड़ा महत्व रखता है। इमाम हुसैन ने हमें यह पैगाम दिया कि अगर कोई जालिम, बेगुनाहों पर जुल्म करे तो आवाज़ उठाना हमारा फर्ज़ है। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है और यह पैगाम हर मजहब के लिए है।”उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इमाम हुसैन की कुर्बानी से सीख लें और ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाना सीखें।उन्होंने बताया कि मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है और इसकी 10वीं तारीख को, जिसे ‘आशूरा’ कहा जाता है, पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को कर्बला (इराक) में शहीद कर दिया गया था।
मौलाना मुस्तफा हुसैन जैनपुरी ने कहा, “मोहर्रम खुशी का नहीं, बल्कि शोक का महीना है। इसका मकसद हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर इंसाफ़, इंसानियत और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा लेना है।”तनवीर हुसैन जाफरी ने बताया कि आज इमामबाड़ा अबुतालिब रजि. में मजलिस के बाद ताज़िया, जुलजना, अलम और अन्य रस्में अदा की गईं। इसके बाद जुलूस मंगलौर हाईवे होते हुए इस्लामनगर तालाब के पास पहुंचा, जहां कर्बला में जुलूस का समापन हुआ।
मरसिये खानी में शामिल रहे:
जनाब अनीस अहमद, तसव्वर हुसैन, मेहरबान अली, इकबाल हुसैन, जाहिद हसन
नोहाखानी में शामिल रहे:
जनाब रहीस अब्बास, तनवीर हुसैन जाफरी, अंसार हुसैन, नाहिद हुसैन
मातमी जुलूस में मौजूद रहे:
फुरकान अली, मोहसिन रज़ा, शादाब हुसैन, वाहिद हुसैन, नकी रज़ा, दिलशाद हुसैन, शाहिद हुसैन, रौनक अब्बास, साजिद हुसैन, रजब अली, फरहान अली



