सरदार पटेल जयंती पर वरिष्ठ साहित्यकार नरेश राजवंशी का शॉल ओढ़ाकर किया गया सम्मान
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर रुड़की में आयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में नगर के वयोवृद्ध एवं वरिष्ठ साहित्यकार नरेश राजवंशी को उनके विशिष्ट साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मान प्रदान किया गया, जिससे कार्यक्रम का माहौल भावुक और प्रेरणादायी बन गया। सम्मान समारोह में साहित्य, सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।कार्यक्रम में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति डॉ. श्रीगोपाल नारसन, सरदार पटेल विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेठपाल परमार, लोकतांत्रिक जनमोर्चा के संयोजक सुभाष सैनी तथा किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शरण गोस्वामी ने संयुक्त रूप से वरिष्ठ साहित्यकार नरेश राजवंशी को यह सम्मान प्रदान किया। सभी अतिथियों ने नरेश राजवंशी के साहित्यिक जीवन, उनके संघर्ष और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की।इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि नरेश राजवंशी केवल एक साहित्यकार ही नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाले विचारक भी हैं। उन्होंने बताया कि नरेश राजवंशी देश के मूर्धन्य साहित्यकार एवं ‘आवारा मसीहा’ जैसे चर्चित उपन्यास के लेखक विष्णु प्रभाकर के सगे भांजे हैं। साहित्यिक विरासत उन्हें परिवार से ही मिली, लेकिन उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई और जीवन पर्यन्त अपनी बेबाक कविताओं व रचनाओं के माध्यम से सामाजिक चेतना जगाने का कार्य किया।डॉ. नारसन ने कहा कि नरेश राजवंशी की कविताओं में समाज की पीड़ा, आम आदमी के संघर्ष और सामाजिक विसंगतियों के प्रति गहरी संवेदना झलकती है। उन्होंने बिना किसी भय के सच्चाई को शब्दों में पिरोया और साहित्य को केवल मंचों तक सीमित न रखकर जन-जन तक पहुंचाया। यही कारण है कि उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं और नई पीढ़ी को सोचने के लिए प्रेरित करती हैं।कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि नरेश राजवंशी ने अपने सरकारी जीवन में विद्युत विभाग में भंडार अधीक्षक के पद पर रहते हुए भी साहित्य साधना को निरंतर जारी रखा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने साहित्य के प्रति आमजन की रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से एक अनोखा अभियान चलाया, जिसके तहत वे घर-घर जाकर पुस्तकों का वितरण करते थे। उनका मानना था कि पुस्तकें केवल अलमारी में सजाने के लिए नहीं, बल्कि समाज को जागरूक और शिक्षित करने का सशक्त माध्यम हैं।सरदार पटेल विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेठपाल परमार ने कहा कि सरदार पटेल की जयंती पर ऐसे साहित्यकार का सम्मान करना, जिन्होंने जीवन भर समाज को जोड़ने और जागरूक करने का कार्य किया, अपने आप में सार्थक है। वहीं, सुभाष सैनी और शरण गोस्वामी ने भी नरेश राजवंशी के योगदान को समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनों ने नरेश राजवंशी के दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की तथा उनके साहित्यिक योगदान को नमन करते हुए कहा कि ऐसे साहित्यकार समाज की अमूल्य धरोहर होते हैं, जिन्हें सम्मानित करना हम सभी का दायित्व है।



