मंडावली गाँव में केंद्रीय कर्मचारी को नहीं मिल रही घर बनाने की अनुमति, एचआरडीए के चक्कर काटते–काटते त्रस्त — अब हाईकोर्ट में लगाई गुहार
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
मंगलौर के मंडावली गाँव में अपना आशियाना बनाने का सपना देख रहे केंद्रीय कर्मचारी मुकुल कुमार इन दिनों गंभीर मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। नियमों के अनुरूप निर्माण कार्य किए जाने और सभी आवश्यक औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद भी उन्हें हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) से भवन निर्माण की अनुमति नहीं मिल पा रही है। यही कारण है कि वह लंबे समय से एचआरडीए दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं।मुकुल कुमार ने बताया कि वह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से पहले ही एनओसी प्राप्त कर चुके हैं। इसके बावजूद एचआरडीए के अधिकारी विभिन्न औपचारिकताओं के नाम पर उनसे बार–बार दस्तावेज और स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। उनका कहना है कि गाँव के कुछ गलत प्रवृत्ति के लोगों द्वारा की गई शिकायतों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।केंद्र सरकार में कार्यरत मुकुल कुमार का कहना है कि एक ओर वह देश की सेवा में दिन–रात जुटे रहते हैं, वहीं दूसरी ओर एचआरडीए अधिकारी बिना किसी ठोस कारण के उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। उन्होंने गढ़वाल कमिश्नर के कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद कमिश्नर ने एचआरडीए को कंपाउंड फीस स्वीकार कर अनुमति देने के निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।मुकुल कुमार का यह भी आरोप है कि गाँव में उनसे पहले कई मकानों और दुकानों का निर्माण बिना अनुमति के हो चुका है, लेकिन प्राधिकरण ने कभी भी उन पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की। इसके विपरीत, नियमों के तहत निर्माण करने के बावजूद केवल उन्हीं को परेशान किया जा रहा है। इससे तंग आकर उन्होंने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और उन्हें अदालत से न्याय की उम्मीद है।इस पूरे मामले पर जॉइंट मैजिस्ट्रेट रूड़की, दीपक रामचंद्र सेठ ने बताया कि हाईकोर्ट और गढ़वाल आयुक्त के निर्देशों के पालन में मुकुल के मामले की प्रक्रिया जल्द पूरी कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की टीम मानचित्र और निर्माण स्थल का मिलान कर रही है। यदि निर्माण स्वीकृत मानचित्र के अनुरूप पाया गया तो एचआरडीए जल्द ही अनुमति प्रदान करेगा।केंद्रीय कर्मचारी का मामला स्थानीय प्रशासन और प्राधिकरण की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखने वाली बात होगी कि हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मुकुल कुमार को उनका वैध अधिकार कितनी शीघ्रता से मिल पाता है।



