आईआईटी रुड़की में यूबीए ओरिएंटेशन: आत्मनिर्भर गाँवों की ओर पहल
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की, 20 सितंबर 2025। आईआईटी रुड़की में आयोजित उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के क्षेत्रीय समन्वय संस्थान की अभिविन्यास कार्यशाला ने सतत ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर गाँवों की अवधारणा को नई दिशा दी। एपीजे अब्दुल कलाम ब्लॉक में आयोजित इस कार्यशाला में उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के यूबीए समन्वयकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और सामुदायिक नेताओं ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक को एकीकृत कर ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने पर गहन विमर्श किया।उद्घाटन सत्र दीप प्रज्वलन और “देशज ज्ञान में बादल” पुस्तक विमोचन से शुरू हुआ। इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के आरसीआई-यूबीए समन्वयक प्रो. आशीष पांडे ने ग्रामीण समुदाय और शिक्षा जगत के बीच सेतु निर्माण में यूबीए की भूमिका को रेखांकित किया। वहीं, आईआईटी रुड़की के निदेशक, प्रो. कमल किशोर पंत ने कहा कि “उन्नत भारत अभियान की आत्मा गाँवों को ज्ञान, प्रौद्योगिकी और सतत प्रथाओं से सशक्त बनाने में निहित है। हम नवाचार-संचालित पहलों से आत्मनिर्भर गाँवों की राह प्रशस्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”कार्यशाला में मुख्य अतिथि पद्मश्री श्री सेठपाल सिंह ने किसानों की आय दोगुनी करने और टिकाऊ आजीविका सुनिश्चित करने के लिए कृषि में विविधता और पारंपरिक ज्ञान के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “सच्चा विकास गाँवों से शुरू होता है और यही आत्मनिर्भर भारत की नींव है।”तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञ वक्ताओं ने ग्रामीण विकास के विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे। प्रो. एन.के. नवानी ने राष्ट्रीय मधु प्रमाणीकरण एवं खाद्य सुरक्षा केंद्र की स्थापना पर जानकारी साझा की, जो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की सहायता से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ‘मधु क्रांति’ पहल किसानों को उपकरणों पर सब्सिडी और मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराकर आयवृद्धि में सहायक है।इसी तरह डॉ. मीना कुमारी, श्री रवि सैनी, डॉ. शुभा द्विवेदी और डॉ. पूजा ने जैविक खेती, कृषि-सलाहकार सेवाएँ, शहद प्रमाणीकरण, मौसम पूर्वानुमान, उद्यमिता और पर्यावरण-ग्राम जैसे विषयों पर प्रकाश डाला। इन सत्रों ने प्रतिभागियों को आधुनिक विज्ञान और स्थानीय ज्ञान को एक साथ प्रयोग करने के व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान किए।कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने आईआईटी रुड़की स्थित एग्रोमेट वेधशाला का दौरा किया। यहाँ उन्हें कृषि आधारित नवाचारों का प्रत्यक्ष अनुभव मिला। इस दौरे का उद्देश्य समन्वयकों को ग्रामीण वास्तविकताओं और तकनीकी समाधान के बीच सेतु निर्माण के लिए प्रशिक्षित करना था।कार्यशाला के समापन पर प्रो. आशीष पांडे ने कहा कि यह पहल समन्वयकों को परिवर्तन के उत्प्रेरक बनने में मदद करेगी और ग्रामीण समुदायों की आवश्यकताओं को शैक्षणिक विशेषज्ञता से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने इस ओर ज़ोर दिया कि यूबीए आत्मनिर्भर, टिकाऊ और सशक्त गाँवों की दिशा में भारत सरकार की प्राथमिकताओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, आत्मनिर्भर भारत अभियान, किसानों की आय दोगुनी करना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से सीधे जुड़ा है।इस अभिविन्यास कार्यशाला ने यह स्पष्ट कर दिया कि ग्रामीण परिवर्तन केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि सामुदायिक सहभागिता, शिक्षा और तकनीकी नवाचार के माध्यम से संभव है। आईआईटी रुड़की के नेतृत्व में यह पहल ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।



