भारत की हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की दिशा में आईआईटी रुड़की ने बढ़ाया कदम

(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की, 9 सितंबर 2025 — भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (एचआरईडी) ने “बायोमास से हाइड्रोजन: प्रौद्योगिकी, तालमेल एवं प्रणाली एकीकरण (ISB2H)” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF), भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और उद्योग प्रायोजकों — मार्स टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज, एलिमेंटार एवं टीए इंस्ट्रूमेंट्स वाटर्स का सहयोग प्राप्त हुआ।संगोष्ठी का उद्घाटन आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत के संरक्षण में हुआ। उन्होंने भारत में स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ते बदलाव और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि बायोमास आधारित हाइड्रोजन ऊर्जा भविष्य के लिए एक टिकाऊ और स्वच्छ विकल्प है।इस अवसर पर एचआरईडी के प्रमुख प्रो. संजीव कुमार प्रजापति ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। संयोजक प्रो. सोनल के. थेंगने ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। वहीं, प्रो. प्रथम अरोड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. रंजीत के. पई (वैज्ञानिक एफ, डीएसटी) और डॉ. जी. श्रीधर (महानिदेशक, SSS-NIBE) रहे। दोनों ने बायोमास से हाइड्रोजन उत्पादन की संभावनाओं और भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में इसकी अहम भूमिका पर अपने विचार रखे।एक पैनल चर्चा “बायोमास से हाइड्रोजन – संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ” विषय पर आयोजित हुई, जिसमें डॉ. पई, डॉ. श्रीधर, डॉ. प्रियंका कौशल, डॉ. आर. के. मल्होत्रा और डॉ. बिजेंद्र नेगी जैसे विशेषज्ञ शामिल हुए। इस चर्चा में भारतीय परिप्रेक्ष्य में बायोहाइड्रोजन की तकनीकी तैयारियों, नीतिगत ढाँचे और उद्योग जगत की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर से लगभग 75 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें शोधकर्ता, उद्योग प्रतिनिधि और विद्यार्थी शामिल थे। आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी दिल्ली, एसएसएस-एनआईबीई और अन्य प्रमुख संस्थानों से आए वक्ताओं ने अपने व्याख्यानों से सत्रों को समृद्ध बनाया।संगोष्ठी का एक अहम आकर्षण बायोमास एवं हाइड्रोजन से संबंधित बीआईएस मानकों पर केंद्रित सत्र रहा। इसका संचालन प्रो. सोनल (एचआरईडी बीआईएस छात्र अध्याय की समन्वयक) ने किया। इस सत्र में बीआईएस एवं आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने नवीकरणीय हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में मानकीकरण की आवश्यकता और भूमिका पर चर्चा की। सत्र की अध्यक्षता प्रो. दीपक खरे (बीआईएस अध्यक्ष) ने की। कार्यक्रम के अंत में आयोजित प्रश्नोत्तरी सत्र में छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया संगोष्ठी के समापन सत्र को प्रो. विवेक के. मलिक (स्रिक कुलशासक, आईआईटी रुड़की) ने संबोधित किया। इसके बाद सर्वश्रेष्ठ शोध प्रस्तुति देने वाले प्रतिभागियों और प्रश्नोत्तरी विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। आईआईटी रुड़की द्वारा आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ने शोध, नीति और मानकीकरण के विभिन्न पहलुओं को जोड़ते हुए बायोमास आधारित हाइड्रोजन ऊर्जा की संभावनाओं को एक मजबूत मंच प्रदान किया। इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि भारत वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा और हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार का अग्रणी केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।