सांपों के ज़हर के अवैध कारोबार का भंडाफोड़:शिकायतकर्ता ने वन विभाग पर लगाये आरोप, जाँच की मांग

(ब्योरो- दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की, खंजरपुर।
रुड़की के खंजरपुर क्षेत्र से एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। यहां सांपों के ज़हर का अवैध कारोबार चल रहा था, जिसकी भनक तक वन विभाग को नहीं लगी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए वन विभाग की टीम ने गोदाम पर छापा मारकर 86 सांप बरामद किए, जिनमें कोबरा और रसैल वाइपर जैसी दो खतरनाक प्रजातियां शामिल हैं। इस घटना ने न केवल अवैध तस्करी की परतें खोलीं बल्कि विभाग की गंभीर लापरवाही को भी उजागर कर दिया।इस पूरे मामले का खुलासा पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) संगठन से जुड़े गौरव गुप्ता की शिकायत पर हुआ। गौरव गुप्ता ने दिल्ली स्तर पर इसकी सूचना दी थी, जिसके बाद वन विभाग को हरकत में आना पड़ा। विभाग की टीम ने खंजरपुर स्थित गोदाम में छापेमारी की तो वहां सांपों का जखीरा मिला। इनमें कई सांप जीवित अवस्था में थे, जिन्हें तस्करी के उद्देश्य से रखा गया था।छापेमारी के दौरान गोदाम मालिक मौके से फरार मिला। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस व्यापार का लाइसेंस काफी समय पहले ही समाप्त हो चुका था। बावजूद इसके सांपों की तस्करी और ज़हर के कारोबार को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा था। यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर इतने लंबे समय तक यह धंधा विभाग की नज़रों से कैसे बचा रहा।शिकायतकर्ता गौरव गुप्ता ने वन विभाग पर सीधा आरोप लगाया कि अगर दिल्ली तक जानकारी पहुँच सकती है तो स्थानीय अधिकारी इतने लंबे समय तक अंजान कैसे रहे। उन्होंने विभाग के मासिक निरीक्षण पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह केवल खानापूर्ति साबित हो रहा है। गौरव गुप्ता का कहना है कि इस मामले में विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। यह पहली बार नहीं है जब विभाग पर ढिलाई के आरोप लगे हों। अवैध कारोबार का इतने बड़े पैमाने पर चलना यह संकेत देता है कि या तो अधिकारियों ने अपनी आंखें मूंद रखी थीं या फिर वे जानबूझकर कार्रवाई से बच रहे थे। सवाल यह भी है कि नियमित निरीक्षण में सांपों का यह जखीरा क्यों नहीं मिला। अगर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाता तो शायद यह धंधा इतनी दूर तक नहीं फैल पाता। मामला खुलने के बाद रुड़की एसडीओ ने जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ताओं का कहना है कि केवल छापेमारी और औपचारिक जांच से काम नहीं चलेगा, बल्कि विभाग की जवाबदेही भी तय करनी होगी।
निष्कर्ष
खंजरपुर में सांपों के ज़हर का अवैध कारोबार केवल एक आपराधिक मामला नहीं बल्कि प्रशासनिक ढिलाई का बड़ा उदाहरण है। यह सवाल अब और गहरा हो गया है कि क्या वन विभाग सिर्फ शिकायत मिलने पर ही हरकत में आता है? और क्या इतने लंबे समय तक चल रहे इस कारोबार में विभाग की मिलीभगत भी रही? इन सवालों के जवाब और निष्पक्ष जांच ही यह तय करेंगे कि जिम्मेदार कौन है।