आईआईटी रुड़की और आईएसएस, इरास्मस विश्वविद्यालय के बीच वैश्विक साझेदारी
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की, 30 सितम्बर 2025। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और नीदरलैंड के अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक अध्ययन संस्थान (आईएसएस), इरास्मस विश्वविद्यालय ने समावेशी नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए पांच वर्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता संयुक्त अनुसंधान, छात्र एवं संकाय आदान-प्रदान और जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित होगा।समझौते पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत और आईएसएस के रेक्टर प्रो. रुआर्ड गैंज़वूर्ट ने औपचारिक हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर आईएसएस की ओर से प्रो. पीटर नोरिंगा ने प्रतिनिधित्व किया, जबकि इंटरनेशनल सेंटर फॉर फ्रुगल इनोवेशन के सह-निदेशक एवं टीयू डेल्फ़्ट के प्रो. सीस वैन बीयर्स भी मौजूद रहे।आईएसएस के रेक्टर प्रो. गैंज़वूर्ट ने इस साझेदारी को शिक्षा और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को जोड़ने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग सामाजिक विज्ञान और तकनीकी विशेषज्ञता को एक साथ लाकर वैश्विक एवं स्थानीय समुदायों के लिए बेहतर समाधान विकसित करेगा।प्रो. नोरिंगा ने मितव्ययी नवाचार पर बल देते हुए कहा कि “कम संसाधनों में अधिक कार्य करना ही वास्तविक विकास की कुंजी है।” वहीं, प्रो. वैन बीयर्स ने इस पहल को भारत और यूरोप के बीच सतत नवाचार के नेटवर्क को मजबूत करने वाला कदम बताया। उन्होंने संयुक्त अनुसंधान, छात्र आदान-प्रदान और विषयगत कार्यशालाओं के आयोजन पर जोर दिया।आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. पंत ने इस एमओयू को प्रौद्योगिकी और समाज के बीच सेतु निर्माण का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य किफायती एवं समुदाय-केंद्रित नवाचार के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना है। उन्होंने इसे न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करार दिया।यह सहयोग केवल अकादमिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सरकारी एजेंसियों, नागरिक समाज और समुदाय-आधारित संगठनों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। समझौते के मुख्य केन्द्रित क्षेत्र सतत विकास, किफायती नवाचार और समुदाय-केंद्रित इंजीनियरिंग होंगे।आईआईटी रुड़की का यह कदम उसकी वैश्विक सहभागिता रणनीति का हिस्सा है, जो शैक्षणिक उत्कृष्टता को सामाजिक उत्तरदायित्व और सतत प्रभाव से जोड़ता है। इस साझेदारी के माध्यम से छात्रों, शोधकर्ताओं और समुदायों को मिलकर वैश्विक चुनौतियों का समाधान तैयार करने का अवसर मिलेगा और साथ ही भारत-नीदरलैंड के शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संबंध और गहरे होंगे। यह एमओयू एक समझौते से कहीं अधिक है—यह समाज के लिए उपयोगी ज्ञान और व्यवहारिक समाधान विकसित करने की साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।



