रुड़की के खंजरपुर में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य समापन, भक्तिमय माहौल में गूंजे श्रीकृष्ण नाम के जयकारे
(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)
रुड़की के खंजरपुर क्षेत्र में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का आज भव्य समापन हुआ। इस पावन अवसर पर कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए। कथा के अंतिम दिन प्रसिद्ध भागवत कथावाचक श्याम सुंदर जी महाराज ने अपने श्रीमुख से भागवत गीता के अमृत वचनों की महिमा का विस्तृत वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन के उत्थान और आत्मोद्धार का मार्ग है, जो भक्ति, ज्ञान और वैराग्य तीनों मार्गों को प्रशस्त करता है।महाराज श्री ने कहा कि भागवत कथा का श्रवण व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराता है। यह कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा, मन, बुद्धि और शरीर के संतुलन का माध्यम है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि “संसार में सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है — धन, यश, पद, प्रतिष्ठा — परंतु मोक्ष की प्राप्ति, अर्थात स्वयं को जानना, सबसे कठिन साधना है और इसका एकमात्र मार्ग श्रीमद् भागवत गीता है।”महाराज जी ने कहा कि भागवत कथा सुनने मात्र से व्यक्ति के भीतर प्रेम, शांति और समर्पण की भावना जागृत होती है। यह कथा मानव को कर्म, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना सिखाती है। उन्होंने कहा कि “बिना भागवत को सुने ना तो जीवन को समझा जा सकता है और ना ही भारतीय संस्कृति को।”कथा के अंतिम दिन विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे युवा भाजपा नेता व वरिष्ठ समाजसेवी इंजीनियर चैरब जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भागवत आत्मज्ञान का स्रोत है। यह जीवन को सही दिशा देने वाला ग्रंथ है, जो हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और उद्देश्य के प्रति जागरूक करता है। उन्होंने कहा कि “भागवत अनुष्ठान केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह परमार्थ का सबसे बड़ा यज्ञ है, जिससे मानवता का उद्धार होता है और भारत की संस्कृति को जानने का अवसर प्राप्त होता है।”इंजीनियर चैरब जैन ने कथावाचक श्याम सुंदर जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया और पुष्पहार पहनाकर उनका सम्मान किया। उन्होंने आयोजन समिति के सभी सदस्यों को सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसी कथाओं से समाज में धार्मिक जागृति और नैतिकता का संचार होता है।कथा समापन के अवसर पर वातावरण भक्तिमय हो उठा। श्रीकृष्ण भजनों और “राधे-राधे” के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और महाराज जी के चरणों में नमन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तगण, ग्रामवासी, महिलाएं, युवा एवं बच्चे उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि ऐसे आध्यात्मिक आयोजनों से समाज में प्रेम, एकता और सद्भाव का संदेश फैलता है।



