अभिभावकों के लिए चेतावनी: पुराने कफ सिरप से बच्चों की सेहत पर खतरा, एफडीए ने किया सतर्क
(ब्योरो – दिलशाद खान। KNEWS18)
मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के कारण इन दिनों बच्चों में खांसी-जुकाम और वायरल इंफेक्शन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में कई अभिभावक पुराने कफ सिरप या पहले से बची हुई दवाइयों का इस्तेमाल दोबारा कर देते हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह आदत बच्चों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।इसी गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने अभिभावकों को सतर्क करते हुए चेतावनी जारी की है। विभाग ने कहा है कि पुराने या एक्सपायर कफ सिरप का इस्तेमाल बच्चों में गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।राज्य के अपर आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि कफ सिरप जैसी तरल दवाइयों की प्रभावशीलता सीमित समय के लिए ही रहती है। इन दवाओं को डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक और अवधि के भीतर ही उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि “एक बार सिरप की बोतल खुलने के बाद उसकी रासायनिक संरचना समय के साथ बदलने लगती है। इससे दवा का असर घट जाता है और कभी-कभी यह शरीर के लिए हानिकारक भी बन सकती है।”उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकांश सिरप में शर्करा और अन्य रासायनिक तत्व होते हैं जो लंबे समय तक खुले रहने पर हवा और तापमान के संपर्क में आने से प्रतिक्रिया करते हैं। इस वजह से उनमें बैक्टीरिया या फंगस विकसित हो सकते हैं, जो बच्चे के शरीर में जाकर लीवर, किडनी, पेट और प्रतिरोधक तंत्र पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं।एफडीए ने इस संदर्भ में सभी अभिभावकों को आगाह करते हुए कहा है कि वे किसी भी दवा की एक्सपायरी डेट और ओपनिंग डेट का विशेष ध्यान रखें। यदि बोतल खुलने के बाद लंबे समय तक रखी रही है, या उसका रंग, गंध या गाढ़ापन बदल गया है, तो उसे तुरंत नष्ट कर दें।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार अभिभावक यह सोचकर दवाएं संभाल कर रख लेते हैं कि अगली बार वही समस्या होने पर वही सिरप काम आएगा। लेकिन यह लापरवाही बच्चों की सेहत को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है। बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होता है, इसलिए पुरानी या एक्सपायर दवाओं का असर उन पर अधिक तीव्रता से पड़ता है।एफडीए ने यह भी सलाह दी है कि सभी दवाइयों को बच्चों की पहुंच से दूर, ठंडी और सूखी जगह पर रखें, और डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का उपयोग न करें। विभाग ने कहा कि दवाओं के सुरक्षित उपयोग को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए जिलों में सघन अभियान चलाया जाएगा, जिसमें मेडिकल स्टोर संचालकों को भी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि एफडीए की टीमें दवा विक्रेताओं और मेडिकल स्टोर्स की जांच भी कर रही हैं ताकि बाजार में किसी भी प्रकार की प्रतिबंधित या एक्सपायर दवाइयों की बिक्री न हो सके। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी मेडिकल स्टोर पर ऐसी दवाएं पाई गईं तो संबंधित संचालक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।एफडीए की यह चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब बच्चों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। विभाग ने अभिभावकों से अपील की है कि वे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार बनें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी पुरानी या बची हुई दवा न दें।
👉 सावधानी ही सुरक्षा है — पुराने कफ सिरप से बच्चों को दूर रखें, और स्वस्थ बचपन की दिशा में जिम्मेदार कदम उठाएँ।



