November 7, 2025

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने किफायती नवाचार में रचा वैश्विक इतिहास

(ब्योरो – दिलशाद खान।KNEWS18)

रुड़की, उत्तराखंड — 09 अक्टूबर 2025: भारत और विश्व को टिकाऊ विकास की दिशा में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने “फ्रगल इनोवेशन में ह्यूरिस्टिक्स” विषय पर एक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया। इस कार्यशाला का आयोजन International Centre for Frugal Innovation (आईसीएफआई), नीदरलैंड और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सहयोग से किया गया। इस आयोजन में भारत, नीदरलैंड, केन्या और मेक्सिको के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया और किफायती नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के नए रास्ते खोले। इस बहुप्रतीक्षित कार्यशाला में विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, सामाजिक संगठनों और उपयोगकर्ता समूहों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। इसमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी, Adobe और गलगोटिया विश्वविद्यालय जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं ने भी योगदान दिया।कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मितव्ययी या किफायती नवाचार में ह्यूरिस्टिक्स की साझा समझ विकसित करना और इस क्षेत्र में एक ठोस सैद्धांतिक ढांचा तैयार करना था। साथ ही इसमें भविष्य के सहयोग, संयुक्त शोध परियोजनाओं, प्रकाशन पहलों और एक प्रस्तावित पुस्तक श्रृंखला पर भी विस्तृत चर्चा की गई।आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, “मितव्ययी नवाचार और बहुविषयक अनुसंधान सतत विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन नवाचारों के माध्यम से न केवल समाज की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है, बल्कि एक विकसित भारत के लक्ष्य को भी साकार किया जा सकता है।”आईसीएफआई, नीदरलैंड के अकादमिक निदेशक प्रोफेसर पीटर नोरिंगा ने इस सहयोग को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “यह कार्यशाला भारत और नीदरलैंड के शिक्षाविदों के संयुक्त प्रयासों से एक ह्यूरिस्टिक्स प्रयोगशाला विकसित करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले समय में यह वैश्विक स्तर पर किफायती नवाचार को गति प्रदान करेगी।”आईआईटी रुड़की के शैक्षणिक मामलों के कुलशासक प्रोफेसर नवीन कुमार नवानी ने घोषणा की कि संस्थान जल्द ही किफायती नवाचार पर नए शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू करेगा। इससे छात्रों को इस उभरते क्षेत्र में आधुनिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल हासिल करने का अवसर मिलेगा। इससे न केवल संस्थान की साख बढ़ेगी, बल्कि यह भारत के अन्य संस्थानों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।टीआरसीएफएस के समन्वयक एवं जेएनयू के प्रोफेसर सरदिंदु भादुड़ी ने कहा कि जेएनयू और आईआईटी रुड़की मिलकर किफायती नवाचार से संबंधित नए शैक्षणिक कार्यक्रम विकसित करेंगे, जिससे संस्थागत साझेदारी को और मजबूत किया जा सकेगा। वहीं आईआईटी रुड़की के डिजाइन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अपूर्व कुमार शर्मा ने कहा कि छात्र समूह पहले से ही फैकल्टी के मार्गदर्शन में इस दिशा में कई परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं।कार्यशाला का समापन सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हुआ, जिसमें टिकाऊ, सामाजिक रूप से समावेशी और वैश्विक रूप से प्रासंगिक नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अब किफायती नवाचार के क्षेत्र में न केवल नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है, बल्कि वैश्विक सहयोग को भी नई दिशा दे रहा है।

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